पुलिस की मानवता आधी रात साथीआरक्षक के साथ गर्भवती महिला को सुरक्षित भिजवाया घर
मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़कटनी। पुलिस ने यह किया, पुलिस ने वह किया, पुलिस ने ऐसा किया, पुलिस ने वैसा किया, पुलिस मारती है, पुलिस परेशान करती है, जैसे आरोप पुलिस की कार्यशैली को लेकर आए दिन लगते रहते हैं। लेकिन क्या पुलिस इतनी अमानवीय होती है नही, इसका जीता जागता प्रमाण कल आधी रात उस समय देखने को मिला जब चौराहे के एक कोने में एक मानसिक विक्षिप्त गर्भवती महिला अकेली बैठी इधर-उधर ताक रही थी।
काम खत्म होने के बाद घर लौट रहे यातायात के आरक्षक ने महिला को इस तरह अकेला बैठा देख पहले तो उसे वहां बैठने के संबंध में पूछताछ करने का प्रयास किया। लेकिन जब मानसिक विक्षिप्त महिला ने कोई उचित जवाब नहीं दिया तो वह किसी अनहोनी घटना की आशंका से भर उठा और उसने तत्काल इस बात की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। काफी मशक्कत के बाद अपने सहयोगी आरक्षक के साथ मिलकर आधी रात आरक्षक ने महिला के परिवार वालों का पता लगाया और उसके भाई को साथ लाकर महिला को विधिवत घर भिजवाया। जिस समय आरक्षक महिला को सुरक्षित घर भिजवाने का प्रयास कर रहा था उस समय वहां पर कई लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने भी महिला की दशा को समझने का प्रयास नहीं किया। अगर यातायात के आरक्षक ने बीती रात मानवता नहीं दिखाई होती तो फिर हो सकता है कि विक्षिप्त गर्भवती महिला किसी घटना का शिकार हो जाती।
यह थी घटना
विक्षिप्त गर्भधारी महिला रामकली बर्मन पिता छोटेलाल बर्मन उम्र 27 वर्ष निवासी मझगवा फाटक निवासी जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, गत बुधवार रात्रि लगभग 12 बजे चांडक चौक में जगन्नाथ मंदिर के सामने बैठी हुई थी। जिसे आरक्षक 207 योगेंद्र सिंह ने घर लौटते समय देखा। आरक्षक ने आसपास पूछा तो एक व्यक्ति जिसका नाम दीपक गुप्ता निवासी झर्रा टिकुरिया का उसने बताया कि मैं इस महिला को पहचानता हूं यह महिला मझगवा फाटक के पीछे रहती है। महिला का पता मिलने के बाद आरक्षक ने पूरी घटना की जानकारी यातायात थाना प्रभारी राहुल पांडे को दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए यातायात थाना प्रभारी राहुल पांडे ने आरक्षक को मझगवा फाटक उसके घर जाकर किसी को साथ लाने के लिया कहा गया। आधी रात यातायात आरक्षक योगेंद सिंह अपने साथी कोतवाली थाने के आरक्षक बुधराज को साथ लेकर महिला के घर पहुंचा और महिला के भाई अमित बर्मन को साथ लाया। दोनों ही आरक्षकों के द्वारा विधिवत कार्यवाही करते हुए उक्त महिला को उसके भाई अमित के सुपुर्द किया गया। जब महिला अपने भाई के साथ अपने घर चली गई तब दोनों आरक्षकों ने राहत की सांस ली और अपने घरों की ओर चल पड़े।
आधी रात को एक महिला को अकेला देखकर आरक्षकों ने जो किया वह काबिले तारीफ है। पुलिस के इस तरह के छोटे-छोटे प्रयास पुलिस को और अधिक बेहतर बनाते हैं।
मध्य प्रदेश समाचार संपादक श्यामलाल सूर्यवंशी